होली आते ही बिकने लगा मिलावटी खोया


उत्तर प्रदेश(चित्रकूट):-  रंगों का त्यौहार होली ज्यों-ज्यों नजदीक आता जा रहा है, बाजार में खोया की दुकानें सजने लगी हैं। खोया की इस त्यौहार में जरूरत तो सभी जानते हैं, लेकिन बाजार में बिकने वाले खोया की गुणवत्ता को लेकर प्रश्न चिन्ह लगने लगे हैं।


होली आते ही बाजार में खोया की मांग बढ़ जाती है। खोया की बढ़ती मांग के चलते मिलावटखोर भी सक्रिय हो जाते हैं। ये लोग सथेटिक खोया बनाकर बाजार में खपाना शुरू कर देते हैं। यद्यपि जब खाद्य सुरक्षा टीमें नमूना भरने लग जाती हैं तो मिलावटी खोया बेचने वालों पर अंकुश लग जाता है। अब जबकि होली के त्यौहार में मात्र 7 दिन ही शेष बचे हैं और परिवारों में इसकी तैयारियां शुरू हो गयी हैं, बाजार में मिलावटी खोया की भरमार हो गयी है। लोग शुद्ध खोया के नाम पर मिलावटी खोया खरीदने को मजबूर हैं।


ऐसे बनता है सथेटिक खोया


जानकार बताते हैं कि इसे बनाने में दूध, ग्लूकोस व रिफाइंड का इस्तेमाल किया जाता है। दूध, पानी व ग्लूकोस के घोल में रिफाइंड या पाम ऑयल मिलाकर नकली खोया तैयार किया जाता है। इसे खराब होने से बचाने के लिए चीनी के साथ केमिकल और हाइड्रोजन परॉक्साइड का प्रयोग किया जाता है। इसकी पहचान प्रयोगशाला में ही संभव है।


जाने क्या कहते हैं अधिकारी


बाजार में खाद्य पदार्थों की जांच का अभियान शुरु करा दिया गया है। यह लगातार 8 फरवरी तक अभियान चलेगा। मिलावट करने वालों को बख्शा नहीं जायेगा, और कुछ भट्ठियों को चिन्हित भी कर लिया गया है। अभियान में सभी खाद्य पदार्थों के नमूने भरे जाएंगे।  


सी आर प्रजापति, अभिहित अधिकारी


चित्रकूट ब्युरो:- ठा0 सुरेन्द्र सिंह कछवाह