इटावा:- जसवंतनगर क्षेत्र के बलरई के बीहड़ो से गुजरने वाली यमुना नदी खनन माफियाओं के लिए चांदी यानीसफेद रंग की बालू के खनन का स्वर्ग बन गयी है।
पुलिस, अधिकारी और नेता सभी सेट हैं, उनके मुंह बंद कर दिए गए हैं। जेबें नियमित भरी जा रहीं हैं। और यमुना मैया को नँगा किया जा रहा है। यमुना में पलने वाले जीव जंतुओं का सफाया हो रहा है और पर्यावरणीय असंतुलन पैदा कर भविष्य में यमुना किनारे आवाद गांवों को बाढ़ की विभीषिका की ओर धकेला जा रहा है।
मध्यप्रदेश से आने वाली गाड़ियों पर जबसे प्रशासन ने शिकंजा कसा है, तब से बलरई थाना क्षेत्र के लगभग बीस किलोमीटर हिस्से में गुजरने वाली यमुना नदी में खनन माफियाओं की चांदी हो गई है। चौबीसों घंटे रोजाना दर्जनों ट्रैक्टरों से यमुना नदी से सफेद चांदी नुमा बालू का खनन जोरों पर है। पुलिस की आंखों पर ऐसा चश्मा चढ़ा है कि उसे ये सब नही दिख रहा।
यमुना नदी में बालू खनन करने के लिये लाये गए चार ट्रैक्टर ट्रॉली गत दिनों फँस गए, इसकी सूचना पुलिस को मिली तो कोई भी कार्यवाही न करते हुए शाम के समय फँसे हुए ट्रैक्टर निकलवा दिये गए।
एक ट्रैक्टर चालक ने बातों बातों में पूछने पर कि तुम लोग दिन दहाड़े खनन कर रहे हो पुलिस का डर नहीं है तो चालक ने बताया कि हम लोग प्रति ट्रैक्टर के हिसाब से थाने में रुपये देते हैं।
जब रुपये लेते हैं तो क्यों पकड़ेंगे ?
अब हम लोग तीन से चार हजार रुपये में एक ट्रैक्टर ट्रॉली की बालू को बेच देते हैं।
हम लोग अपने ट्रैक्टरों से खनन की गई बालू को बलरई थाना क्षेत्र के बॉर्डर से सटे हुए गाँवों और कस्बों में बेच आते हैं।
चंबल की बालू की कीमत महँगी होने के कारण हम लोगों के पास ज्यादा माँग बढ़ गई है इसलिये हम लोग अपनी सेटिंग करके खनन कर रहे हैं।नेताओं से हमारे लोगों की सेटिंग हैं। उन्हें चौथ चाहिए, इसलिये वह क्यों अड़ंगा लगाएंगे। थाने से डायरेक्ट या दलालों की मार्फ़त सेटिंग हो जाती है। इसलिए हमारा काम नही रुकता। ट्रेक्टरों पर ओवरलोडिंग का डंडा नही है। इसलिए पुलिस भी चेकिंग में हम पर हाथ नही डालती और शिकवे शिकायतों से बची रहती है।
इटावा ब्यूरो:- सुबोध पाठक