यमुना की तलहठी में भव्य शिव मंदिर का निर्माण, जहां चल रही है नौ दिवसीय श्रीमद भागवत कथा


यह मंदिर लोगो के लिए एक नया आस्था का केंद्र बन रहा है 


जहां कभी हुआ करता था डकैतों का बोल बाला आज वह स्थान भक्ति रसमय हो गया


उत्तर प्रदेश(इटावा):- कहते है कि भगवान कि भक्ति में ही शक्ति होती है और आज यह नजारा यमुना मैया की गोद में बेहद खूबसूरत दिखाई दे रहा है। हम बात कर रहे है यमुना की तरहठी में ग्राम घुरहा पूंछरी के सामने यमुना पार माता सती व शिव मंदिर स्थत  भव्य मंदिर की जहां कभी खूंखार डकैतों का बोल बाला हुआ करता था आज वह स्थान भक्तिमय दिखाई दे रहा है यहां एक महानुभाव का माता सती की कृपा से काम फतह हुआ और श्रीमान जी ने भी ठान लिया की यहां माता सती व भगवान शिव का भव्य मंदिर बनाया जाएगा और मंदिर का सुंदर स्वरुप बना कर तैयार कर दिया गया और नौ दिवसीय श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया गया। आज से लगभग 18 वर्ष पहले इस स्थान पर खूंखार डकैतों का डंका बजा करता था और यहां पुलिस प्रशासन भी आने से कतराता था। लेकिन आज यहां का नजारा देखते ही बन रहा है।


यमुना की लहरों से सटी हुई विश्रात जो श्रद्धालुओं के नहाने के लिए बेहद आसान है जिसे अगर यमुना की रेती से देखा जाए तो बहुत ही खूबसूरत नजारा दिखाई देता है।


कथा के सातवें दिन 
श्री राम सुग्रीव मित्रता प्रसंग को विस्तार दिया गया


बेटी ,प्रकृति गौमाता हमारी जीवन रेखा है इन्हेंसंरक्षण दे


कुअंर श्री विश्व जीत सिंह सेवा संस्थान द्वारा ग्राम पई व पूंछरी के बीच यमुना की तरहठी में आयोजित कथा में साध्वी श्री अखिलेश्वरी दीदी मां ने श्रीरामकथा के किष्किंधा कांड से श्रीराम सुग्रीव की मित्रता प्रसंग को सुनाते हुए कहा कि"हमें ऐसे ही मित्रों की खोज में रहना चाहिए जिनमें हमसे अधिक आत्मबल हो क्योकि मित्रता औपचारिकता का नही एक बड़े उत्तरादायित्व का रिश्ता होता है जहां मित्र होने का अर्थ केवल यह नहीं है कि आप किसी मजाक, बातचीत, कुछ समय या किसी कहानी का हिस्सा बनें, बल्कि इसका मतलब है अपने सच्चे निःस्वार्थ मनऔर ईमानदार हिस्से को साझा करना ।


दीदी मां ने गौ सेवा पर्यावरण व बेटी की महिमा कहते हुए बताया कि गौ सेवा के कारण ही रघुवंश में श्री राम जैसे मर्यादापुरुषोत्तम पुत्र हुए व राम ने अपना जीवन माँ जानकी व लक्ष्मण के साथ साढ़े बारह वर्ष तक चित्रकूट पर्वत पर प्रकृति के सानिध्य में बिताया। दीदी मां ने कहा कि बेटी, प्रकृति गौमाता हमारी अनमोल जीवन रेखा है इन्हें संरक्षण व संवर्धन दे इनके बिना धरा पर मानव का कोई अस्तित्व नही है।



इटावा ब्यूरो:- सुबोध पाठक