रायबरेली: खुले में फेंके जा रहे मवेशियों के शव, बदहाली का शिकार है मेरूई गौशाला


रोजाना मर रहे हैं मवेशी, कुत्ते व गिद्ध नोच रहे मांस


रायबरेली:- चार सैकड़ा से अधिक मवेशियों के उपचार की जिम्मेदारी एक चिकित्सक को सौंपी गई है जिसका नतीजा है कि प्रतिदिन मवेशी मर रहे हैं। मरने वाले इन मवेशियों के शवों के निस्तारित करने की कोई पुख्ता व्यवस्था नही की गई है। खुले स्थानों पर मन मवेशियों के शवों को फेंका जा रहा है। यह मवेशी भुखमरी से मर रहे हैं या बीमारी से यह तो अगर किसी टीम से मृत मवेशियों का पोस्टामर्टम कराया जाए तभी पता चल सकता है।बताते चलें कि यह गौशाला एक करोड़ रूपये से अधिक की लागत से बनवाई गई है और इसमें आने वाले मवेशियों के इलाज के जिम्मा पशु चिकित्सालय खीरों के चिकित्सक डा. पंकज पटेल का है। वर्तमान में लगभग चार सैकड़ा से अधिक मवेशी गौशाला में बंद हैं। इनके चारे की पुख्ता व्यवस्था तक नही है। उपचार के अभाव में मवेशी मर रहे हैं। पशुचिकित्सक के पास खीरों के अलांवा सेमरी अस्पताल का भी चार्ज है। ज बवह अस्पताल से छुट्टी पाते हैं तभी गौशाला आकर मवेशियों का इलाज होता है। समस्या यह है कि जो मवेशी मर जाते हैं उनके शवों को दफनाने की उचित व्यवस्था नही है। थोड़ी दूर पर खाली पड़े स्थानों पर मवेशियों के शवों को फेंक दिया जाता है। जिससे शवों की बदबू गांव के भीतर व सड़कों तक फैला करती है। आलम तो यह है कि इन शवों को चील व कुत्ते नोंच नोंच कर खा रहे हैं। मवेशियों के मांस को यह सड़क तक फैलाने में जुटे हैं। लोगों का राह चलना दुश्वार बना है। अधिकारी भी इस ओर से पूरीं तरह से आंखे बंद किए बैठे हैं।













रायबरेली ब्यूरो:- अभिषेक बाजपेई