चन्दौसी में श्री रघुनाथ ब्रह्मचर्य आश्रम ट्रस्ट विवाद गरमाया


सम्भल:- जनपद सम्भल के चन्दौसी में फर्जी ट्रस्टियों को स्वामी अच्युतानन्द की खुली चेतावनी प्रेसवार्ता में बोले स्वामी जी- सामने आकर करें सामना, न करें जनविरोधी कार्य ट्रस्ट की समस्त सम्पत्ति पर तिरंगा परिवार का अधिकार, न समझें कमजोर फर्जी ट्रस्टियों को सुधरने की दी नसीहत अन्यथा सम्पत्ति पर रिसीवर बैठाने की दी चेतावनी


श्री रघुनाथ ब्रह्मचर्य आश्रम ट्रस्ट सम्पत्ति विवाद की धमक सम्पत्ति के असल मालिक व वारिस तथा तिरंगा परिवार से सम्बन्ध रखने वाले ब्रह्मलीन स्वामी भूमानन्द के शिष्य स्वामी अच्युतानन्द तक जा पहुंची है। पिछले माह कुछ लोगों द्वारा फर्जी तरीके से रघुनाथ ब्रह्मचर्य ट्रस्ट का चुनाव कराकर आनन-फानन में गठन कर लिया गया जो कि ट्रस्ट के मौजूदा व सरकार द्वारा विधिविधान से नियुक्त मन्त्री राजकुमार शर्मा द्वारा पूर्ण रूप से फर्जी करार दिया गया और इसकी शिकायत सम्पत्ति के मौजूदा असल वारिस से की। इस परिप्रेक्ष्य में स्वामी अच्युतानन्द चन्दौसी में माता बगिया वाली स्थित मन्दिर में पधारे, मन्दिर में ही आयोजित प्रेसवार्ता की प्रेसवार्ता के दौरान स्वामी जी ने स्पष्ट किया कि अग्रवाल समाज के कुछ लोग जो अनैतिक, अवैधरूप से अतिक्रमण करके ट्रस्ट की सम्पत्ति पर अपना मालिकाना हक जताकर हड़पने के मूड़ में है उनको मेें स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि ऐसे लोग ट्रस्ट की सम्पत्ति को अपनी बपौती न समझे और समय रहते चेत जायें अन्यथा पछताने का भी अवसर प्राप्त नहीं मिलेगा। प्रेसवार्ता के दौरान रघुनाथ आश्रम के आचार्य विश्वास उपाध्याय ने ट्रस्ट के मौजूदा मन्त्री पर पूर्वाग्रह का आरोप मढ दिया इस पर स्वामी क्रोधित हो गये और आचार्य को हद में रहने की चेतावनी दी। उक्त समस्त सम्पत्ति पण्डित हनुमान प्रसाद सिंह की थी और एक वसीयत लिखकर अपनी करोड़ों की सम्पत्ति और जायदाद राजेन्द्र तिरंगा परिवार के नाम कर दी थी और उसमें यह लिखा है कि इस सम्पत्ति के असली हकदार तिरंगा परिवार द्वारा नामित व गठित ट्रस्टी व सदस्य बने रहेंगे। इस सम्पत्ति पर जो लोग अपना हक जता रहें हैं उन्हें वे मीडिया के माध्यम से कहना चाहते हैं कि वे सामने आकर अपना पक्ष प्रस्तुत करें। मैं ऐसे लोगों को चेतावनीे देना चाहता हूं तिरंगा परिवार को किसी रूप में कमजोर समझने की भूल न करें। यदि वे नगर व समाज के हित में कार्य करेंगे तभी उनकी भलाई है अन्यथा परिणाम अच्छा नहीं होगा, जिसके वे (फर्जी ट्रस्टीगण) स्वयं ही जिम्मेदार होंगे।




संभल ब्यूरो:- सरफराज अंसारी