चौबारी गंगा मेले का आगाज आज, सजने लगा घोड़ों का बाजार, परंपरा की गठरी उठाए चौबारी मेला


बरेली:-  आधी-अधूरी तैयारी को पीछे छोड़कर चौबारी मेले का टेंट आस्था की रस्सी थामे गंगा तट पर तन गया है। गंगा घाट पर अभी तक स्नान का पूरा इंतजाम भी नहीं हुआ है। परंपरा की गठरी उठाए चौबारी मेला गंगा तट पर आ पहुंचा है। इस मेले की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां घोड़ा नखासा लगता है। जिसमें एक लाख से लेकर पांच लाख रुपये तक के घोड़ों को बिक्री के लिए लाया जाता है। यहां दूर-दराज से लोग अपने घोड़ों का सौदा करने और खरीदने आते हैं। मेला आठ नवंबर से शुरू हो रहा है और 16 नवंबर तक चलेगा। इसकी तैयारियां पुलिस प्रशासन ने भी कर ली हैं।


पुरानी रवायत में रचा-बसा है मेला
श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए मेले तक पहुंचने की राह थोड़ी आसान हो गई है। जिससे लोगों को और अन्य सालों की तुलना में इस बार दिक्कतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। चौबारी मेला आज भी पुरानी रवायत में रचा-बसा, परंपरा में नहाया ही लगता है। इस मेले में स्नान के दिन को छोड़ दें तो यहां आने वाली भीड़ आमूमन गांव के आस-पास की ही होती है। चौबारी से लेकर बभिया, आंवला, भमोरा, रामनगर, समेत आसपास के लोग ही पर्यटक और खरीदार भी हैं।


जुटने लगे घोड़ों के सौदागर
घोड़ा विक्रेता जाकिर अली ने बताया कि दूर-दराज से घोड़ों के सौदागार यहां आने लगे हैं। वैसे तो यहां कई नस्ल के घोड़े बेचे और खरीदे जाते हैं लेकिन सफेद रंग की घोड़ी खरीदारों की पहली पसंद होती है। इसकी कीमत अन्य घोड़ों से अधिक होती है। इसकी वजह यह है कि शादी में सफेद घोड़ी की मांग ही रहती है। मेले में हर साल सैकड़ों सौदागर आते हैं। पंजाब, गुजरात और सिंध तक के आते हैं घोड़े मेले में घोड़ों की कीमत उसकी नस्ल पर निर्भर करती है। यहां 10 हजार से लेकर पांच लाख रुपये तक की कीमत वाले घोड़े आते हैं। बताया कि पंजाब, मारवाड़, गुजरात, सिंध, बलोत्रा, काठियाबाद की नस्ल के घोड़े अच्छे होते हैं। हाईट के लिए पंजाब, फटेकान का सिंधी और कानपत्ती के लिए काठियाबाद, रेस के लिए बारूत्रा का घोड़ा पसंद किया जाता है।


चौबारी मेले में लगी खाद्य अधिकारी की डियूटी
बरेली। शुक्रवार से चौबारी मेले का आगाज हो रहा है। जो 23 नवंबर को समाप्त होगा। अभिहित अधिकारी ने मेले में लगने वाली खान पान की दुकाने पर बिकने वाली चीजों की गुणव्ता के लिए खाद्य अधिकारी को तैनात किया है।।


बरेली ब्यूरो:- कपिल यादव