राम-भरत संवाद सुन दर्शको की भींगी आंखें, सर पर खड़ाऊँ रख अयोध्या लौटे भरत


इटावा/जसवंतनगर:- यहां के 160 वर्ष पुराने रामलीला महोत्सव में लीलाएं मंगलवार से रामलीला मैदान में शुरू हो गयी। वनवास पर गए राम की खबर ननिहाल से लौटे भरत-शत्रुघ्न को जैसे ही लगती है तो वह सीधे अपने भाई राम को मनाने वन की ओर अयोध्यावासियों के संग चल देते हैं। सरयू नदी को पार कर दण्डक वन पहुंचते हैं।


नदी को पार करते समय उन्हें केवट और निषाद राज, भगवान राम के वन की ओर जाने का रास्ता बताने के लिए उनके साथ चल देते हैं। राम लक्ष्मण और सीता वन में जैसे ही भरत को मिलते हैं।सब आंसुओं में डूब जाते हैं। पिता दशरथ के स्वर्गवास की खबर से राम भी विलाप करने लगते।



इसके बाद भ्राता भरत, राम को 14 वर्ष का वनवास त्याग अयोध्या लौटने के लिए अनुनय विनय करते।मगर राम पिता के वचन को साक्षी मान भरत को राजधर्म पर चलने की सलाह देते, व्यास रामकृष्ण दुबे और उमेश नारायण पांडेय द्वारा इस लंबे संवाद का वाचन रामायण सम्मत किया जाता और निर्देशन समिति राजीव बबलू और अजेंद्र सिंह गौर द्वारा होता है। संवाद के बाद गुरुओं द्वारा राम से वचन लिया जाता कि 14 वर्ष के बाद वह आकर स्वयं अयोध्या का राजपाट संभालेंगे। इस पर भरत सहमत हो जाते। राम अपनी खड़ाऊँ भरत को सौंपते जिन्हें भरत अपने सर पर रख अयोध्या लौट देते है। मौसम की खराबी की वजह से आज मेला मैदान में बहुत ही काम भीड़ जुटी। राम की भूमिका यश दुबे ने, लक्ष्मण की कन्हैया मिश्रा, भरत की शिवा मिश्र और सीता की अभय मिश्र ने  निभायी।


रिपोर्टर:- सुबोध पाठक