मुश्किल से जागा कुम्भकर्ण, लक्ष्मण को लगा शक्तिबाण, रावण ने अपने भाई विभीषण को लंका से निकाला


इटावा:- सँयुक्त राष्ट्र संघ की सांस्कृतिक संस्था यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर घोषित जसवन्त नगर की मैदानी रामलीला में मेघनाथ द्वारा लक्ष्मण पर शक्ति प्रहार के उपरान्त रामदल में हा-हा कार मच जाता है। इस दौरान राम का विलाप, अंगद का पांव, सेतु बंध, विभीषण का देश निकाला, कुम्भकर्ण को जगाना, हनुमान द्वारा संजीवनी बूटी लाना आदि लीलाओं का प्रदर्शन किया गया।


लीला का शुभारंभ लंका के राजा रावण के द्वारा विभीषण को लात मारकर देश निकाला दिए जाने के साथ होता है। विभीषण ने रावण को सीता को छोड़ने तथा राम से क्षमा मांगने की सलाह दी तो रावण आगबबूला हो गया और विभीषण को भगा दिया। उधर अपनी पूंछ की आग बुझा के हनुमान राम को लंका भ्रमण के सारा वृत्तान्त सुनाते हैं इस पर राम जामवन्त की सलाह पर नल-नील आदि वानर सेना को साथ लेकर समुद्र पर सेतु का निर्माण कराते हैं और सेना लेकर सेतु के जरिये लंका में प्रवेश कर जाते हैं। इससे पूर्व राम समुद्र किनारे शिवलिंग का निर्माण कर रामेश्वरम की स्थापना करते हैं। विभीषण राम की शरण में आते हैं राम शरणागतवत्सल को सम्मान के साथ शरण देते हैं।


बाली पुत्र अंगद रावण को समझाने उसके दरबार में पहुंचता है और रावण के साथ उसका लंबा संवाद होता है। रावण के दरबार में वह अपना पांव जमा देता है और कहता है कि राम से लड़ना तो दूर पहले कोई मेरा पांव ही हिलाकर दिखा दे। रावण के दरबार के सारे योद्धा हार गए लेकिन कोई अंगद का पैर ण् हिला सका। अंत में रावण स्वयं उठता है तो अंगद कहता है कि आप मेरे पिता के मित्र हो, पिता के समान हो, मेरे पैर मत पकड़ो यदि पैर पकड़ना ही है तो प्रभु राम के पैर पकड़ो और माफी मांग लो इसी में तुम्हारा हित है। यह कहकर अंगद चला आता है। लंका मैं छह माह सोने वाले कुम्भकर्ण को जगाया जाता है।


रावण का बलशाली पुत्र इंद्रजीत मेघनाथ का लक्ष्मण के साथ युद्ध शुरू हो जाता है वह शक्ति का संधान कर लक्ष्मण पर अमोघ अस्त्र से वार करता है। लक्ष्मण, शक्ति लगने से मूर्छित हो जाते हैं। राम दल में हा-हा कार मच जाता है। विभीषण सलाह देते हैं कि सुषेन वैद्य ही इसका इलाज कर सकते हैं। हनुमान सुषेन वैद्य को लेकर आते हैं। वैद्य लक्ष्मण की नाड़ी देखकर बताते हैं कि संजीवनी बूटी से ही शक्ति का उपचार हो सकता है। हनुमान जाते हैं संजीवनी बूटी न पहिचानने के कारण वे पर्वत ही उठा लेते हैं। सुषेन वैद्य लक्ष्मण को बूटी चुन कर खिलाते हैं लक्ष्मण की चेतना लौट आती है। राम दल में खुशी लौट आती है। रविवार की लीला का समापन हो जाता है।


रिपोर्टर:- सुबोध पाठक