कुंभकर्ण और अतिकाय के मारे जाने से रावण विचलित


इटावा:- यूनेस्को से पुरुस्कृत यहां की मैदानी रामलीला में आज नगर की सड़कें युद्ध मैदान में बदल गयीं और दशानन रावण का छह महीने सोने और इतना ही जागने वाला भीमकाय भाई कुम्भकर्ण भगवान राम के हाथों मारा गया।


लंका की सेना का प्रमुख सेनापति अतिकाय भी आज राम दल के आगे अपने प्राण गंवा बैठा। इससे रावण बुरी तरह विचलित हो उठा।


नव रात्रि के अंतिम दिन कुम्भकर्ण, मेघनाद और अतिकाय अपने भारी सैन्य दल के साथ नगर की सड़कों पर प्राचीन युद्ध कला के अस्त्र शस्त्रों से लैस युद्ध को निकले और भगवान राम के विश्राम स्थल कटरा पुख्ता चोक स्थित नरसिंह मन्दिर पर धावा बोला।  इसी के साथ युद्ध का प्रदर्शन आरम्भ हो गया।


राम की सेना, पैदल और कुम्भकर्ण मेघनाद तथा राम लक्ष्मण अपने डोलों पर सवार थे। रावण दल की सेना के साथ सूपर्णखा भी थी। करीब डेढ़ किलोमीटर तक जमकर संग्राम हुआ। रास्ते मे इन दोनों राक्षसराजों ने कोहराम मचाते लोगो की आफत ली। भीड़ को संभालने के लिए भारी पुलिस बल को काफी मशक्कत करनी पड़ी क्योंकि चलती तलवारों और तीरों से युद्ध हो रहा था। बाद में दोनों दल युद्ध करते रामलीला मैदान मे पंहुंचे, जहां सबसे पहले राक्षस अतिकाय का देर शाम बध किया गया।


अतिकाय के मारे जाने के बाद अपने भाई कुम्भकर्ण को रावण ने मैदान में उतारा, जिसने अपनी युद्धकला कौशल से रामदल के दांत खट्टे कर दिए। कई घंटे संग्राम के उपरांत विभीषण राम के हाथों जैसे ही मारा गया, सर्वत्र राम की जयकार गूंजी।महोत्सव अध्यक्ष अजय लम्बरदार, प्रबंधक राजीव गुप्ता बबलू, व्यवस्थापक अजेंद्र गौर ने बताया है कि मंगलवार को नाग फांस, यज्ञ विध्वंश की लीलाये और मेघनाद बध सड़कों पर लड़ाई के बाद होगा। यहां की रामलीला में पंचक मुहूर्त में 9 अक्टूबर को रावण वध का प्रदर्शन होगा।


रतन शर्मा, धीरज पाठक, डॉ पुष्पेंद्र पुरवार, राजीव गुप्ता, रामनरेश यादव पप्पू, निखिल गुप्ता, किशन सिंह मेम्बर, रतन शर्मा, ओमपाल सिंह आदि का आज की लीलाओं में महती सहयोग रहा।


रिपोर्टर:- सुबोध पाठक