बैंक की शाखाओं में क्षमता से दोगुने सिक्के डम्प


बरेली:- बैंकों में सिक्के नहीं जमा होने के कारण कारोबारी काफी परेशान हैं,मगर खुद बैंक भी सिक्के के बोझ से दबे जा रहे हैं। बैंक अधिकारी इस मामले में खुलकर बोलने से बच रहे हैं। बैंक यूनियन से जुड़े पदाधिकारी जरूर मुखर होकर अपनी बात रख रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक सरकार और आरबीआई इस मामले की गंभीरता को नहीं समझेगी, तब तक सिक्को की समस्या हल नहीं होने वाली है। नोटबंदी के समय बाजार में नकदी की कमी हो गई थी। उस समय आरबीआई ने भारी मात्रा में सिक्के बैंकों के लिए भेजे थे। सिक्के के साथ ही आरबीआई ने उन छोटे नोटों को भी बैंकों के लिए भेज दिया, जो काफी खराब हो चुके थे। उन्हें पहले बाजार से हटाने की तैयारी हो रही थी। छोटे नोटों के साथ ही सिक्के के आ जाने से छोटी करेंसी काफी ज्यादा हो गई। नोट की जगह लोग सिक्कों को पास रखने में कतराते हैं। इसीलिए बैंकों में भी सिक्के जमा करने वालों की संख्या बढ़ने लगी।हालात यह है कि जिन बैंकों के पास 30 लाख रुपये के सिक्के रखने की क्षमता है,उनके पास 60 लाख रुपये तक के सिक्के जमा हैं। कर्मचारियों का कहना है कि ऐसी स्थिति में बैंक आखिर ज्यादा सिक्के कैसे जमा करें। बैंक सिक्के जमा नहीं करते हैं तो उन्हें लोगों की आलोचना सुननी होती है।


दोगुने सिक्के रखे हुए हैं बैंकों में
यूनियन बैंक स्टाफ एसोसिएशन के महासचिव पीके माहेश्वरी कहते हैं कि तमाम ब्रांचों में 60-70 लाख रुपये तक के सिक्के रखे हुए हैं। बैंक आरबीआई के नियमों के मुताबिक ही सिक्के जमा करते हैं। कारोबारियों को सरकार के माध्यम से यह सीमा बढ़वानी चाहिए। बैंक स्थानीय स्तर पर इसमें कुछ नहीं कर सकते। 


चेस्ट में नहीं जाते सिक्के
बैंक यूनियन के सहायक महामंत्री संजीव मेहरोत्रा ने कहा कि बैंक शाखाओं में अधिक नोट होने पर उन्हें करंसी चेस्ट में भेजा जा सकता है। सिक्कों को करंसी चेस्ट में नहीं भेजा जा सकता है। इसीलिए शाखाओं में भी सिक्के भरे पड़े रहते हैं।


ग्राहक नहीं लेते सिक्के
यूपी बैंक इम्पाइज यूनियन के अध्यक्ष अरविंद रस्तोगी ने कहा कि बैंक शाखाओं में भी सिक्कों का अंबार लगा हुआ है। यदि ग्राहक को एक हजार रुपये के सिक्के दो तो वो मना कर देता है। सरकार को नए सिक्के जारी करने से परहेज करना चाहिए।


रिपोर्टर:- कपिल यादव