आखिर सूर्यनारायण खिल गए। एक तरफ इंद्र देवता के अस्तित्व पर सूर्य ने डांका डाला, तो दूसरी ओर भगवान राम ने इंद्र के पुत्र जयंत की आंख फोड़ दी


इटावा/जसवंतनगर:- आखिर सूर्यनारायण खिल गए। एक तरफ इंद्र देवता के अस्तित्व पर  सूर्य ने डांका डाला, तो दूसरी ओर भगवान राम ने इंद्र के पुत्र जयंत की आंख फोड़ दी।


यहां के रामलीला महोत्सव की मैदानी लीला कल वर्षा से प्रभावित हो गयी थी। आज सबेरे से भी इंद्र के सहचरों 'बादलों' से आकाश घिरा था। इसलिए पूरी रामलीला समिति चिंतित थी कि बादलोंऔर वर्षा से मुक्ति मिलेगी या नही? मगर लीला शुरू होने से पहले  धूप निकल आयी और राम जी का डोला रामलीला मैदान परम्परागत तरीके से पहुंचा और चौथे दिन की लीलाएं पंचवटी की छांव में आरम्भ हुई।


इंद्र पुत्र जयंत ने राम सीता और लक्ष्मण को पंचबटी में विराजित देखा और ढिठाई दिखाते घुस आया और माता सीता के पैरों और शरीर पर अपनी चोंच मारने लगा।


लक्षण और राम ने उसे बहुत रोका मगर नही माना, गुस्साए राम ने वाण अपने धनुष पर चढ़ाया और उसकी आंख में मारा, इससे जयंत बिलबिला गया। वाण से मुक्ति के लिए वह तीनो लोक में भागा, मगर कहीं जब उसे राहत नही मिली तो उसे नारद मुनि मिले, जिन्होंने उसे सलाह दी कि राम भगवान के अवतार हैं, उन्ही से जाकर क्षमा मांगो, फिर जयंत पंचवटी लौटता है और राम के चरणों मे गिरकर रोता गिड़गिड़ाता है। राम उसे म्रत्यु से मुक्ति दे देते, मगर जीवन एक आंख से ही देखने का दण्ड दे मुक्त करते है। इस लीला का प्रदर्शन 120 मीटर लम्बे मैदान में जीवंत रूप में किया गया।राम की भूमिका यश दुबे ने निभाई। निर्देशन राजीव बबलू और अजेन्द्र गौर ने किया। बाद में विराध राक्षस के वध का प्रदर्शन भी हुआ।


रिपोर्टर:- सुबोध पाठक