शिक्षकों की कमी से जूझ रहा राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज आगरचट्टी.


गैरसैण-शिक्षकों की कमी से जूझ रहा राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज आगरचट्टी....


आगरचट्टी:- राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज आगरचट्टी लंबे समय से शिक्षकों की कमी के कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है साथ ही शिक्षक नियुक्त नहीं किए जाने से समस्या बनी हुई है राजकीय इंटर कॉलेज आगरचट्टी स्कूल में हाई स्कूल स्तर पर उचीकरण वर्ष 2005 में हुआ था तथा इंटर स्तर पर उच्चीकरण वर्ष 2011 में हुआ था लेकिन वर्तमान में भी प्रवक्ता के 5 पद रिक्त पड़े हैं जिनमें प्रवक्ता अर्थशास्त्र ,प्रवक्ता राजनीति शास्त्र ,प्रवक्ता भूगोल तथा लिपिक के भी 2 पद खाली पड़े हैं।


राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज को 2011 से आज तक भी विज्ञान वर्ग की मान्यता नहीं मिली है माननीय विधायक महोदय तथा शिक्षा विभाग को कई बार विज्ञान वर्ग खुलवाने हेतु प्रस्ताव अभिभावकों तथा स्कूल प्रबंधक द्वारा भेजे गए लेकिन आज भी स्थिति यथावत बनी हुई है, राजकीय इंटर कॉलेज आगरा चट्टी में व्यायाम शिक्षक का पद भी रिक्त पड़ा है तथा राष्ट्रीय छात्र सेना के लिए भी कोई शिक्षक नहीं है।


इंटरमीडिएट कॉलेज 2005 से वर्तमान तक केवल 2 शिक्षकों से संचालित हो रहा है जहां छात्रों को सही मायने में शिक्षा नहीं मिल पा रही है वर्तमान समय में पीटीए द्वारा दो अध्यापकों को रखा गया है जिन का मानदेय छात्रों द्वारा डेड सो रुपए प्रतिमाह दिया जाता है अभिभावकों द्वारा कई बार माननीय विधायक महोदय तथा शिक्षा विभाग को कई प्रस्ताव भेजे गए अभिभावकों का कहना है कि केवल आश्वासन ही मिला है।


क्या कहते हैं अभिभावक.... विद्यार्थियों के अभिभावकों का कहना है कि राजकीय इंटर कॉलेज आगर चट्टी मैं वर्ष 2005 से वर्तमान तक केवल 2 अध्यापकों द्वारा स्कूल संचालित हो रहा है| अधिकारियों को कई बार लिखित में मांग पत्र देकर अध्यापकों की स्कूल में कमी को लेकर गुहार लगाई जा चुकी है इसके बावजूद समस्या का समाधान नहीं हुआ।


राजकीय इंटरमीडिएट कॉलेज आगर चट्टी में शिक्षकों की कमी के कारण विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर है विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए सरकार के पास अध्यापक तक नहीं है ऐसे हालातों के चलते राज्य में शिक्षा नीति का मुकाबला नहीं किया जा सकता जबकि राज्य शिक्षा सुधार में करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाती है  अभिभावकों का कहना कि यदि शिक्षा विभाग द्वारा जल्द ही रिक्त पदों की पूर्ति नहीं की गई  शिक्षा विभाग के खिलाफ प्रदर्शन तथा भूख हड़ताल  करने पर मजबूर हो जाएंगे क्योंकि बच्चों का भविष्य अंधेरे में है।
 
तो कैसे मिलेगी बेहतर शिक्षा---


अभिभावकों का कहना है कि राज्य सरकार की ओर से स्कूल में बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं लेकिन जब स्कूलों में अध्यापक ही नहीं होंगे तो बच्चे कैसे बेहतर शिक्षा प्राप्त करेंगे।


अध्यापकों की कमी से गिर रहा शिक्षा का स्तर.....


शिक्षकों की कमी के कारण पढ़ाई का स्तर गिरता जा रहा है जब केवल 2 अध्यापक ही कई विषय पढ़ाता है जिसके चलते विद्यार्थी अन्य विषयों के अलावा शिक्षा में भी पिछड़ रहे हैं विद्यार्थी देश का भविष्य है यदि नीव कमज़ोर होगी तो देश का भविष्य क्या होगा?


रिपोर्टर:- अंकित गुप्ता