न्यूरोसाइंसेज अपडेट-2019 का भव्य उद्घाटन हुआ


इटावा:- उ0प्र0 आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के न्यूरोसाइंस विभाग द्वारा आज एकदिवसीय न्यूरोसाइंसेज अपडेट-2019 का आयोजन किया गया। सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि व प्रसिद्ध न्यूरोसर्जन एवं एसजीपीजीआई, लखनऊ के पूर्व निदेशक प्रो0 ए के महापात्रा ने किया इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति एवं न्यूरोसाइंसेज अपडेट-2019 के आर्गनाइजिंग चेयरमैन प्रो0 राजकुमार, विभागाध्यक्ष, न्यूरोलाॅजी विभाग, एसजीपीजीआई प्रो0 यूके मिश्रा, आर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी प्रो0 रमाकान्त यादव, प्रो0 वीएन मिश्रा, डा0 जे कलिता, डा0 नवनीत कुमार, डा0 पीके माहेश्वरी, न्यूरोसाइंस विभाग से डा0 मोहम्मद फहीम, डा0 अर्चना वर्मा, डा0 मोहम्मद अहमद अंसारी, डा0 हनुमान प्रसाद प्रजापति, विश्वविद्यालय के संकाय अध्यक्ष डा0 आलोक कुमार, चिकित्सा अधीक्षक डा0 आदेश कुमार तथा विश्वविद्यालय के कुलसचिव सुरेश चन्द्र शर्मा आदि उपस्थित रहे। सम्मेलन में मुख्य रूप से ब्रेन स्ट्रोक, न्यूरो ऑकोलाॅजी, हेड ट्रामा तथा न्यूरो रिहैबिलिटेशन आदि विषयों पर विशेष व्याख्यान दिये गये। सम्मेलन में न्यूरोसाइंस में हुई हाल के दिनों में हुई प्रगति को सम्मेलन में आये न्यूरोफिजिशियन एवं न्यूरोसर्जन ने आपस मे साझा किया। कार्यक्रम संयोजन में सहायक रूप में सर्जरी विभाग के डा0 सोमेन्द्र पाल सिंह, कम्युनिटी मेडिसिन से डा0 नरेश पाल सिंह, डेन्टल विभाग से डा0 राजमंगल, डा0 अनुज सविता आदि रहे।  


न्यूरोसाइंसेज अपडेट-2019 के मुख्य अतिथि एवं जाने माने न्यूरोसर्जन प्रो0 एके महापात्रा ने हेड इंजरी मैनेजमेंट पर बोलते हुए कहा कि दिमागी चोट गंभीर हो सकता है और उसका शारीरिक एवं मानसिक क्रियाओं पर जीवनभर के लिए असर पड़ सकता है। उन्होंने बताया कि हर साल भारत में कई लाख लोग सिर की गंभीर चोट यानी ट्राॅमेटिक ब्रेन इंजरी का शिकार होते हैं और कई लोग इससे जान भी गवाॅ बैठते हैं। उन्होंने आगाह किया कि दिमागी चोट को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए।


जीवन कभी वर्षों में नही गिना जाता बल्कि अपने जीवन मे आपने क्या हासिल किया है इस आधार पर तय किया होता है ऐसा विश्वाश हमेशा ही रखिये कि, जीवन मे कुछ भी असम्भव नही है हम सभी डॉक्टर्स है अतः हमें दूसरो की परेशानियों को भी बखूबी समझना आना ही चाहिये।


उद्घाटन सत्र में संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 (डा0) राजकुमार ने कहा कि भारत में न्यूरोसाइंस की एक लम्बी परम्परा रही है। पुराने अभिलेखों के अनुसार भारत के पहले न्यूरो सर्जन जीवन कुमार उर्फ बच्चा थे जिन्होंने उस समय पहली सफल ब्रेन सर्जरी की थी उन्होंने कहा कि हमें न्यूरो विकार से सम्बन्धित शुरूआती समस्याओं को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यदि समस्या को जल्द पहचान लिया जाये और सम्बन्धित समस्या का जल्द इलाज शुरू कर दिया जाये तो सर्जरी के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है। डा0 राजकुमार ने कहा कि वर्तमान में मिर्गी, स्ट्रोक, पार्किंसंन रोग और कंपन सहित सामान्य न्यूरोलाॅजिकल विकारों की समस्या में बहुत इजाफा हुआ है।


सम्मेलन में बोलते हुए एसजीपीजीआई, लखनऊ के न्यूरोलाॅजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो0 यूके मिश्रा ने कहा कि एक न्यूरोलाॅजिस्ट को न्यूरो से सम्बन्धित रोगों के लक्षणों का बारीकी से विश्लेषण करने के साथ पूरे ध्यान से रोगी के रोग से जुड़े पूर्व इतिहास का अध्ययन भी करना होता है।


आर्गेनाइजिंग सेक्रेटरी प्रो0 रमाकान्त यादव ने कहा कि न्यूरोलाॅजिकल विकारों के लक्षणों के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि उपचार में देरी के कारण स्ट्रोक के एक तिहाई से अधिक मरीज जीवन भर इस समस्या से जूझते रहते हैं। उन्होंने कहा कि गंभीर स्ट्रोक से पीडित रोगियों को समय से अस्पताल पहुॅचाना जरूरी है ताकि समय से इलाज शुरू हो सके।


रिपोर्टर:- डॉ आशीष त्रिपाठी