एडवरटाइजिंग एजेंसियों पर क्यों मेहरबान हैं नगर निगम - खुलेआम उड़ा रहे शर्तों की धज्जियां - अधिकारी फिर भी खामोश


रूड़की:- रुड़की नगर निगम क्षेत्र में यूनिपोल और गेन्ट्री का टेंडर लेने वाली फर्में शर्तों का खुलेआम उलंघन कर रही हैं। अधिकारी भी शायद इस ओर से मुंह मोड़े बैठे हैं या फिर इसपर कार्रवाई करने से कदम पीछे खींचते नजर आते हैं।


रुड़की नगर निगम क्षेत्र में गैंट्री(शहर के प्रवेश पर लगे गेट) और यूनिपोल पर विज्ञापन के लिए दो विज्ञापन एजेंसियों को 2018 में लाखों रुपए में टेंडर किये गए थे। जिसमें से यूनीपोल पर विज्ञापन का अधिकार मैसर्स मीडिया 24×7 को दिया गया था और गैलरी पर विज्ञापन का अधिकार एवन एडवरटाइजिंग के नाम किया गया था। निविदा में दी गई शर्तों के अनुसार प्रत्येक कंट्री पर 2 फीट चौड़ी पट्टी पर नगर निगम का संदेश लगाया जाना तय किया गया था। साथ ही प्रत्येक यूनीपोल पर 20×1\2 फिट पर नगर निगम संदेश लगाया जाना तय हुआ था। ऐसा न करने पर निविदा निरस्त होने का नियम था। लेकिन इस निविदा को करीब डेढ़ साल पूरा कर चुकी दोनों फर्में इस शर्त को पूरा नही कर रही हैं। आज तक शायद ही किसी गेन्ट्री या यूनिपोल पर स्वच्छता या अन्य किसी संदेश को इन फर्मों के द्वारा पूरा किया गया हो।लेकिन डेढ़ वर्ष पूरा होने के बाद भी निगम के किसी अधिकारी ने इस ओर ध्यान नही दिया। ना ही कोई कार्रवाई की। अब इस बारे में नगर निगम के सहायक नगर अधिकारी चन्द्रकान्त भट्ट का कहना है कि दोनों फर्मों को नोटिस जारी किए जाएंगे और फिर भी उलंघन होता है तो टेंडर निरस्त करने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी।


महीनों बाद दिया हैसियत एवं चरित्र प्रमाण पत्र….


2018 में हुए टेंडर के अनुसार फर्म को 15 दिन के अंदर हैसियत एवं चरित्र प्रमाण पत्र निगम कार्यालय में जमा होना था। ऐसा न होने पर टेंडर निरस्त करने का अधिकार निगम को था। लेकिन कई महीनों तक दोनो प्रमाण पत्र जमा नही किये गए थे। इसका खुलासा एक जागरूक नागरिक द्वारा मांगी गई आरटीआई में हुआ था। लेकिन जब आरटीआई मांगने के बाद हलचल हुई तो फर्म ने दोनो प्रमाण पत्र जमा कर दिए।


अपने संसाधन, फिर भी दूसरों का सहारा….


नगर निगम समय-समय पर डेंगू और स्वच्छता के प्रति लोगों को जागरूक करता है। इसके लिए समाचार पत्र में विज्ञापन पोस्टर पंपलेट आदि का सहारा विभाग द्वारा लिया जाता है लेकिन अपने संसाधनों का लाभ इस कार्य के लिए नगर निगम आज तक नहीं ले पाया इसे अधिकारियों की लापरवाही कहें या विज्ञापन एजेंसियों की मनमानी लेकिन जो भी है नुकसान सरकार का ही है।


रिपोर्टर:- अंकित गुप्ता