क्या आप जानते है ???, क्या ये चमत्कार है ? 


 


इटावा:- अगर नही तो जरा इस इस तस्वीर को जरा गौर से देखिए जिसमे सांप के सर पर बाल निकले हुए हैं। आप हैरत में पड़ जाएंगे। कि ये क्या है। दरअसल ये नेवले के बाल हैं जिसे संपेरे ने इसके सिर में छेद करके गूंथ दिया है। ताकि, जो भी इसे देखे, हैरत में पड़ जाए और उसे सौ-पचास रुपये ज्यादा की भीख पकड़ा दे। 


सरीसृपों के शरीर पर बाल नहीं पाए जाते। लेकिन, अक्सर ही लोग ऐसे सांपों के किस्से सुनाते हैं जिनके बाल निकले हुए थे। ऐसे किस्सों के जरिए यह साबित करने की कोशिश की जाती है कि वह सांप बहुत ही पुराना होगा। बहुत ही बुजुर्ग होगा। यानी रहस्य और रोमांच की एक अंतहीन संभावना है यहां पर। सांपों के तो माथे पर मणियां भी होती है। जो जितना बुजुर्ग सांप होगा, उसके माथे पर उतनी ही बड़ी मणी भी होगी। 


लोगों के बीच इस तरह के तमाम अंधविश्वास जड जमाए बैठे हैं। तमाम फिल्में और साहित्य इन अंधविश्वासों को बढ़ाने का ही काम कर रहे हैं। जनता के बीच जब अंधविश्वास जड़ जमाए बैठा हो तो उसका फायदा उठाने वालों की बड़ी संख्या लाजिमी ही है। 


सावन का महीना शिव जी की पूजा का महीना है। शिव जी के गले में सांपों की माला है। इसके चलते सांप हमारे लिए रहस्य से भरे और पूजनीय हो जाते हैं। सांपों का दर्शन करने-कराने वालों की संख्या भी इस समय बढ़ जाती है। उत्तर प्रदेश में मथुरा और वृंदावन में वाइल्ड लाइफ एसओएस संस्था और वन विभाग ने सोमवार को संपेरों के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया। इस अभियान में 11 कोबरा, तीन रेड सैंड बोआ, एक रैट स्नेक और एक रॉयल स्नेक का बच्चा जब्त किया गया है। 


सभी सांपों की हालत खराब है। आपको शायद पता हो कि सांपों की जहर की थैली निकालने और विषदंत तोड़ने के बाद उन्हें काफी दिनों तक प्यासा रखा जाता है। ताकि, जब नागपंचमी के दिन उनके सामने दूध रखा जाए तो वे झटपट उसे पीने लगे। हालांकि, दूध सांप के लिए जानलेवा है। इसे पीने से वे बीमार पड़ जाते हैं और उनकी मौत हो जाती है। 


रैट स्नेक जिसकी आप तस्वीर देख रहे हैं, जहरीला नहीं होता। इसे धामन या घोड़ापछाड़ भी कहा जाता है। सपेरे ने इसके सिर में सुराग करके नेवले के बालों को इस तरह से लगा दिया है, जेसे कि इसके बाल उगे हों। इस कवायद से उसे भीख तो ज्यादा मिल जाएगी, लेकिन सोचिए जरा इस सांप पर क्या बीत रही होगी। 


हम चूंकि जानते नहीं है, इसलिए जो कुछ हमें बताया जाता है, उसे चुपचाप मान लेते हैं। सांपों के बारे में किसी के बताए पर यकीन मत कीजिए। सांपों के बारे में तमाम मिथकों को तोड़ने वाली किताबें हैं, उन्हें पढ़िए। 
क्योंकि, अगर यह अंधविश्वास खतम होगा तो इन सांपों पर यह अत्याचार भी समाप्त होगा। 
(तस्वीर वाइल्ड लाइफ एसओएस की दिल्ली शाखा से साभार)


विशेष रिपोर्ट:- डॉ. आशीष त्रिपाठी