बागपत:- उत्तर प्रदेश और हरियाणा का सीमा विवाद लगातार गहराता जा रहा है जिन किसानों की जमीन यमुना की परिवर्तन शील धारा के चलते एक दूसरे की सीमाओं में चली गयी है उन किसानों के लिए खेती करना बड़ी समस्या बन गयी है इसी विसंगति के चलते आये दिन हरियाणा और उप्र के किसानों में झगड़े होते रहते है ऐसी ही एक घटना और सामने आई है जिसमे उप्र के किसानों ने हरियाणा के किसानों और प्रसाशन पर यूपी के किसानों की करीब 251 किल्ले गेंहू की फसल बर्बाद कर देने के आरोप लगाया है।
आरोप है कि हरियाणा के किसानों ने एक दर्जन से ज्यादा ट्रैक्टर चला कर खड़ी फसल तबाह कर दी है ट्यूबवेल बोरिंग में भी तोड़फोड़ की गयी है पीड़ित किसानों का कहना है कि वो पिछले 25 साल से उसी जमीन में फसले बो रहे थे हरियाणा के किसानों की गुंडई से दो दर्जन से ज्यादा किसानो की फसल तबाह कर दी गयी है दरसल खेकडा तहसील के नंगला बहलोलपुर गांव की खेती की जमीन यमुना की धार के पार चली गयी थी और वो किसान अपनी जमीन पर 25 वर्षों से खेती कर रहे थे।
आपको बता दे कि उत्तर प्रदेश और हरियाणा के सीमा विवाद को हल करने के लिए 80 के दशक दीक्षित अवार्ड की स्थापना की गई थी तब दीक्षित अवार्ड ने व्यवस्था दी थी कि जिन राज्यो के किसानो की जमीन यमुना की धारा के चलते एक दूसरे के क्षेत्र में चली गयी है उन पर खेती करने वाले किसानों का ही हक़ रहेगा और यमुना की गहरी धारा को सीमा मानते हुए पिलर भी लगाए गए थे लेकिन दिक्षित अवार्ड की सिफारिश लागू ही नही हो पाई और दोनों राज्यो के किसानों में गाहे बगाहे सीमा विवाद को लेकर संघर्ष होते रहते है।
बागपत ब्यूरो:- विवेक कौशिक