गंगा दशहराः स्नान करने से होता है पापों का अंत


 


गंगा दशहरा हिन्दू धर्म में मनाया जाने वाला महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे पूरी आस्था व श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।


गंगा दशहरा देवी गंगा को समर्पित पर्व है, जिसे जेष्ठ माह के शुक्ल पक्ष दसमी तिथि को मनाया जाता है।


प्रयागराज:- यह तिथि सामान्य तौर पर मई व जून माह में आती है। गंगा दशहरा को गंगा अवतरण भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है गंगा का अवतार। वैसे तो गंगा दशहरा निर्जला एकादशी के एक दिन पहले मनाया जाता है, परंतु कुछ सालों से निर्जला एकादशी और गंगा दशहरा एक ही दिन पड़ रहा है।


क्यूं मनाया जाता है गंगा दशहरा:
हिन्दू पुराणों के अनुसार ऋषि भागीरथी के पूर्वजों की अस्थियों को विसर्जित करने के लिए उन्हें बहते हुए निर्मल जल की आवश्यकता थी, जिसके लिए मां गंगा की कड़ी तपस्या की, जिससे मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हो सके, परन्तु मां गंगा का भाव तेज होने के कारण वे उनकी इच्छा को पूर्ण नही कर सके, लेकिन मां गंगा ने कहा कि अगर भगवान शिव अपनी जटाओं में मुझे समां कर मध्यम गति से प्रवाहित करें तो ऐसा मुमकिन है।


तब ऋषि भागीरथी जी भगवान शिव की तपस्या कर भगवान शिव को प्रसन्न किया, तब ब्रह्मा जी ने मां गंगा को अपने कमंडल में प्रवाहित होने दिया और ब्रह्मा जी ने भगवान शिव की जटाओं में गंगा को छोड़ दिया।
तब भगवान शिव ने अपनी जटा से धीमी गति से मां गंगा को धरती पर जाने का आदेश दिया। इस प्रकार ऋषि भागीरथी जी के पूर्वजों को मुक्ति मिली।


जिस दिन मां गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुईं थीं, उस दिन जेष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी थी। तभी से इस दिन गंगा दशहरा के नाम से मनाया जाता है।


आस्था है कि गंगा दशहरा के दिन गंगा में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है। इस दिन दान, पुण्य भी किया जाता है, लेकिन जो भी वस्तु दान करें वो 10,10 होनी चाइए। इस तरह दान करना लाभ दायक माना जाता है।


रिपोर्टर:- संगीता शर्मा