रायबरेली:- धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर अब मरीज़ों के लिए यमराज बनते जा रहे है. 'भगवान' अगर सरकारी है तो मरीज़ के ठीक होने की उम्मीद तो छोड़िए अक्सर जान बचा पाना मुश्किल हो जाता है. रायबरेली के सरकारी अस्पताल के ईएनटी सर्जन ने न सिर्फ मोटी कमाई के लालच में एक मरीज़ का ऑपरेशन प्राइवेट हॉस्पिटल ले जाकर किया बल्कि टार्च की रोशनी में ऑपरेशन के दौरान गले मे छोटा कपड़ा ही भूल गए. फिर वही डॉक्टर साहब दर्द और सूजन का इलाज भी करते रहे. जब मरीज़ ने दूसरे हॉस्पिटल में दिखाया तब सच्चाई सामने आई. फिर क्या पीड़ित की तहरीर पर आरोपी डाक्टर के विरुद्ध न सिर्फ मुकदमा दर्ज हुआ बल्कि उसकी विभागीय जांच भी शुरू हो गई है।
रायबरेली के जिला चिकित्सालय में तैनात डॉक्टर शिव कुमार जिला चिकित्सालय में ईएनटी सर्जन हैं जिनकी ओपीडी के बाहर हमेशा मरीजो की लम्बी कतार देखने को मिलेगी. लेकिन जैसे जैसे उस कतार में लगे मरीज अंदर जाते हैं वैसे वैसे डॉक्टर शिव कुमार के साथ बैठे एक निजी व्यक्ति के द्वारा बाहर से लिखी जाने वाली दवाइयों के पर्चे में इजाफा होता है और फिर दोबारा मरीज का इलाज शहर के एक मेडिकल स्टोर में बनी डॉ की ओपीडी से शुरू होता है और एक निजी नर्सिंग होम सिटी नर्सिंग होम में खत्म होता है. डॉ. शिव कुमार ऐसे तो हमेशा अपने कारनामो को लेकर चर्चा में रहते हैं लेकिन इस बार एक ऐसा कृत्य डाक्टर के द्वारा किया गया जिससे कि एक महिला की जान पर बन आई।
पीड़ित महिला नीलू सिंह की माने तो उसे गर्दन में एक थैराइट शिस्ट था जिसके इलाज़ के लिए वह 2 जनवरी 2019 को अपने पति के संग जिला अस्पताल में डॉ शिव कुमार के पास गई जहां पर डॉक्टर ने फौरी तौर पर जिला चिकित्सालय में जांच करके उसे गर्दन में थायरॉइड शिस्ट बताया ग और साथ ही यह भी बताया गया कि इसके ऑपरेशन के लिए जिला चिकित्सालय में पर्याप्त संसाधन नही हैं. जिसके कारण शहर के बीचों बीच स्थित सिटी नर्सिंग होम में ऑपरेशन करना पड़ेगा । पीड़िता के अनुसार डॉ शिव कुमार ने 6 जनवरी को नर्सिंग होम में ऑपरेशन के समय लाइट न होने के कारण मोबाइल टॉर्च की रोशनी में उसका ऑपरेशन किया । ऑपरेशन के एक सप्ताह बाद उसे गर्दन में दर्द होने पर फिर डॉक्टर के पास गई तो डॉक्टर ने उसके घाव में मवाद होने की बात कही और अपना इलाज जारी रखा । इस दौरान डॉक्टर के द्वारा पीड़िता से लगातार धन उगाही होती रही । पीड़िता को आराम न मिलने पर उसे रायबरेली से हायर मेडिकल सेंटर रेफर किया गया जहां पर जांच में पता चला कि उसके ऑपरेशन के दौरान गले मे डॉ के द्वारा लापरवाही बरतते हुए कॉटन की पट्टी छोड़ दी गई है ।
वही पीड़िता के पति की माने तो रायबरेली से लखनऊ तक के इलाज में लगभग 3 से 4 लाख रूपये भी खर्च हुए साथ ही साथ मरीज की जान पर भी बन आई थी जिसको लेकर उसने डाक्टर शिवकुमार द्वारा बरती गई लापरवाही पर न सिर्फ जिला अधिकारी बल्कि मुख्यमंत्री व डायरेक्टर मेडिकल काउंसिल तक लिखित रूप से शिकायत की तब जाकर 2 जून 2019 को शहर कोतवाली में आरोपी डाक्टर के विरुद्ध 270,338 धाराओं में मुकदमा पंजीकृत हुआ।
दरअसल पीड़िता का इलाज रायबरेली में 2 जनवरी को शुरू हुआ और लगतर 25 फरवरी तक डाक्टर शिवकुमार के अंडर में चला। इंसी दौरान डाक्टर द्वारा किये गए गले मे ऑपरेशन के दौरान कॉटन की पट्टी छूटने से पीड़िता मौत के मुख तक पहुच गई पर कहते है न जाको राखे साइया मार सके न कोई यही कहावत पीड़िता के साथ चरितार्थ हुई और पीड़िता इलाज के लिए जब लखनऊ के ट्रामा सेंटर पहुँची तो जब डॉक्टरों द्वारा जांच करवाई गई तब यह खुलासा हुआ कि उसके गले मे ऑपरेशन के दौरान कॉटन की पट्टी छूट गई तब फिर पीड़िता का 19 अप्रैल को मेडिकल कालेज में ऑपरेशन हुआ। उसके बाद जब पीड़िता डिस्चार्ज होकर रायबरेली आई तब उसके परिजनों ने जहा 12 मई को कोतवाली, 16 मई को मुख्यमंत्री, 17 मई को जिलाधिकारी व 21 मई को डायरेक्टर मेडिकल काउंसिल को लिखित शिकायत की तब जाकर 17 दिन बाद 2 जून को पीड़िता की तहरीर पर आरोपी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज हुआ। अब इस मामले को जिला प्रशासन ने भी गंभीरता से लिया है जिला अधिकारी की माने तो पीड़िता की तहरीर पर जहा आरोपी डाक्टर के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया गया वही उसकी विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है।
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